Monday, January 30, 2012

'पत्रकारिता का बदलता स्वरुप और न्यू मीडिया'. अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी (21 मार्च 2012)

मित्रों, दिल्ली विश्वविद्यालय के पी.जी.डी.ए.वी. कॉलेज (सांध्य) द्वारा एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है. यह गोष्ठी 21 मार्च 2012 को होगी. 

इस गोष्ठी का विषय है --- 'पत्रकारिता का बदलता स्वरुप और न्यू मीडिया'.  

आप सभी से इस संगोष्ठी के लिए आलेख आमंत्रित हैं.  'सोशल मीडिया, वैकल्पिक मीडिया, ब्लॉग और न्यू मीडिया से सम्बंधित अन्य विषयों पर अपने आलेख 29 फरवरी 2012 तक हमें भेज सकते हैं. आलेखों का प्रकाशन पुस्तक रूप में किया जायेगा. अध्यापकों के अतिरिक्त शोधार्थी, पत्रकार और ब्लॉगर भी इस संगोष्ठी के लिए अपने आलेख प्रेषित कर सकते हैं. कुछ चयनित आलेखों के सार को संगोष्ठी के दौरान पदने का अवसर भी दिया जायेगा जिसके उपरांत विशेषज्ञ विद्वान अपने विचार रखेंगे. स्वीकृत आलेखों पर लेखकों को आलेख प्रस्तुतिकरण का प्रमाण पत्र भी दिया जायेगा. 

संगोष्ठी के संभावित वक्ताओं में डॉ. अमरनाथ अमर (दूरदर्शन), डॉ. वर्तिका नंदा (मीडिया लेखिका), दिलीप मंडल (न्यू मीडिया विशेषज्ञ), अनीता कपूर (चर्चित ब्लॉगर), प्रो. अशोक मिश्र आदि हैं. 

इस संगोष्ठी की सूचना के प्रकाशन के साथ ही हमें कैलिफोर्निया, न्यूजीलैंड और मोरिशस से कुछ मित्रों का आगमन सुनिश्चित हुआ है.  

संगोष्ठी में भाग लेने वाले प्रतिभागियों से किसी भी प्रकार का पंजीकरण शुल्क नहीं लिया जायेगा. प्रतिभागियों को अपने रहने और रात्रि भोजन की व्यवस्था स्वयं करनी होगी तथा उन्हें किसी भी प्रकार का मार्गव्यय प्रदान नहीं किया जायेगा. 

आपके आलेख drharisharora@gmail.com, davseminar@gmail.com पर भेजे जा सकते हैं. 29 फरवरी, 2012 तक प्राप्त होने वाले आलेखों को पुस्तक में स्थान मिलना संभव हो पायेगा. शेष आलेखों के लिए पुस्तक के पुनर्प्रकाशन पर विचार किया जायेगा. 
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें :- 
drharisharora@gmail.com
+919811687144

डॉ हरीश अरोड़ा 
अध्यक्ष, हिंदी विभाग 
पी.जी.डी.ए.वी. कॉलेज (सांध्य)
दिल्ली विश्वविद्यालय 
नेहरु नगर, नयी दिल्ली-११००६५ 

Monday, January 16, 2012

उड़न तश्तरी में उड़ते समीर लाल


प्रिय मित्रो
सादर ब्लॉगस्ते!
इंसान की शुरू से ही दूसरे के घर में ताक-झाँक करने की आदत रही है. जब हमने विज्ञान में प्रगति की तो हमारी पृथ्वी के वैज्ञानिक अपने ग्रह को छोड़ दूसरे ग्रहों में ताक-झाँक करने लगे. "तुम डाल-डाल हम पात-पात" की कहावत को चरितार्थ करते हुए दूसरे ग्रहों के वासी, जिन्हें हम एलियन कहते हैं, भी समय-समय पर अपनी-अपनी उड़न तश्तरी में सवार हो हमारी पृथ्वी पर ताक-झाँक करने आते रहते हैं. एक दिन ऐसे ही एक उड़न तश्तरी धरती पर उतरी, तो उस समय वहाँ दो हिंदी ब्लॉगर टहल रहे थे. उड़नतश्तरी से कुछ एलियन धरती की जाँच-पड़ताल करने निकले, तो इन दोनों ब्लॉगरों ने उन्हें नींद की दवा डालकर बनाया हुआ सूजी का हलवा खिला दिया. जब बेचारे एलियन नींद में मस्त हो धरती पर आराम फरमाने लगे, तो ये दोनों ब्लॉगर उड़न तश्तरी पर सवार हो पूरी दुनिया की सैर करने लगे. उनमें से एक ब्लॉगर उड़न तश्तरी में उड़ते-उड़ते जब बोर हो गये, तो नीचे उतर नुक्कड़ पर बैठकर पंचायत करने लगे. दूसरे ब्लॉगर अब तक उड़न तश्तरी पर सवार हो इधर से उधर घूम रहे हैं. जी हाँ हम बात कर रहे हैं उड़न तश्तरी वाले समीर लाल जी की .

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Saturday, January 14, 2012

सुरेश यादव की चिमनी पर टंगा चाँद




प्रिय मित्रो

सादर ब्लॉगस्ते!
प सभी को अपने परिवार, रिश्तेदारों, पड़ोसियों व सभी दोस्तों-दुश्मनों के साथ बीती लोहड़ी और आगामी मकरसंक्रांति की ह्रदय से हार्दिक शुभकामनाएँ. साथियो क्या आप जानते हैं कि दिल्ली नगर निगम कब आस्तित्व में आया. नहीं जानते? चलिए हम किसलिए हैं? दिल्ली नगर निगम संसदीय क़ानून के अंतर्गत 7 अप्रैल, 1958 में आस्तित्व में आया. दिल्ली के पहले निर्वाचित मेयर थीं अरुणा आसफ अली और लाला हंसराज गुप्ता ने प्रथम मेयर के रूप में अपनी सेवा दी.आज आपकी मुलाक़ात करवाने जा रहे इसी दिल्ली नगर निगम में अतिरिक्त उपायुक्त पद पर कार्यरत सुरेश यादव जी से. जो दिल्ली नगर निगम की सेवा करते हुए हिंदी साहित्य की सेवा में भी कर्मठता से लगे हुए हैं.

Wednesday, January 11, 2012

ब्लॉग शास्त्र पढ़ते संतोष त्रिवेदी





प्रिय मित्रो


सादर ब्लॉगस्ते!

           प यह भली-भाँति जानते होंगे कि हिन्दू धर्म में कितने वेद हैं. क्या नहीं जानते? चलिए हम बता देते हैं. वेदों की संख्या कुल चार है. ऋगवेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्वेद. ऋगवेद, यजुर्वेद व सामवेद को वेदत्रयी के नाम से संबोधित किया जाता था. इतिहास को हिन्दू धर्म में पंचम वेद की संज्ञा दी गई है. प्राचीन काल में जो ब्राम्हण जितने वेदों का ज्ञान प्राप्त करता था उसके नाम के पीछे उसी आधार पर चतुर्वेदी, त्रिवेदी व द्विवेदी आदि उपनाम लगाए जाते थे. आज हम जिन ब्लॉगर महोदय से मुलाक़ात करने जा रहे हैं वह भी त्रिवेदी उपनाम को धारण किये हुए हैं. अब यह तो ज्ञात नहीं कि उन्हें तीन वेदों का ज्ञान है अथवा नहीं, किन्तु ब्लॉग शास्त्र को वह भली-भाँति पढ़ रहे हैं. 

Thursday, January 5, 2012

भोले से डाक बाबू विनोद पाराशर





प्रिय मित्रो

सादर ब्लॉगस्ते!

प्राचीन काल से ही लोगों के संदेश को लाने और ले जाने के लिए विभिन्न प्रकार के उपाय किये जाते रहे हैं. पहले घोड़ों के द्वारा डाक इधर से उधर पहुँचाई जाती थी. प्रेमी अपनी प्रेम पातियों को अपने प्रीतम तक पहुंचाने के लिए कबूतरों का प्रयोग भी करते थे. गुप्त संदेशों को शीघ्रता से भेजने के लिए समय-समय पर बाजों की सहायता भी ली जाती रही. धीरे-धीरे प्रगति हुई और संदेशों को हवाई जहाज में भी उड़ना पड़ा.फिर कंप्यूटर महाराज आये और इन्टरनेट का जाल फैंका और अब पत्रों का स्थान कम्प्यूटरी पत्रों ने ले लिया.किन्तु आज भी पारंपरिक डाक व्यवस्था का महत्त्व कम हुआ है और न ही डाकिया बाबू का.


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Tuesday, January 3, 2012

मृखुअपरा की रश्मि प्रभा


 प्रिय मित्रो

सादर ब्लॉगस्ते!

 साथियों आज से लगभग ढाई हज़ार साल पहले (327 .पू.) तक्षशिला के राजा आम्भी (भारत का पहला गद्दारके सहयोग से यूनानी राजा सिकंदर  ने राजा पुरु (पोरसपर हमला बोलाइसे राजा पुरु का दुर्भाग्य कहें या फिर सिकंदर का सौभाग्य कि युद्ध के दौरान बर्फीला तूफ़ान आरंभ हुआ और राजा पुरु की सेना जीतते-जीतते हार गईराजा पुरु के साथ युद्ध में सिकंदर की सेना की ऐसी हालत हुई कि जब सिकंदर ने आगे बढ़कर मगध राज्य पर हमला करने के बारे में सोचा तो यूनानियों ने विद्रोह कर आगे बढ़ने से इनकार कर दिया सिकंदर ने बहुत कोशिश की आपने सैनिकों को समझाने कीकिन्तु वे सब मगध जैसे शक्तिशाली राज्य के बारे में सुनकर बहुत घबराए हुए थे सो उन्होंने सिकंदर की बात मानने से साफ़ इनकार कर दियाआखिरकार विवश हो  विश्व विजय का सपना अपने दिल में ही संजोये सिकंदर उदास हो वापस अपने देश को लौट पडारास्ते में ही उसे मच्छर मियाँ के कोप का शिकार  बनना पड़ा और वह बेचारा मलेरिया से बेमौत ही मारा गयाआइये साथियो आज मिलते हैं उसी मगध राज्य (आधुनिक बिहारकी रश्मि प्रभा जी से जो पुणे में रहते हुए भी हिंदी की सेवा में रत हैं. आगे पढ़ें...


Sunday, January 1, 2012

ब्लॉग जगत के मंगल पांडे ठाकुर पद्म सिंह




प्रिय मित्रो 

सादर ब्लॉगस्ते!

      अंग्रेजी नव वर्ष का आगमन हो चुका है इसलिए अंग्रेजी में ही शुभकामनाएं  स्वीकारें "हैप्पी न्यू इयर टु यू" वैसे हम हिन्दुस्तानियों का नव वर्ष 22 मार्च, 2012 से आरम्भ होगा शक संवत, जो कि 78 ईसवी से आरंभ माना जाता है, को कुषाण सम्राट कनिष्क ने आरम्भ किया था किन्तु शक शासकों द्वारा अधिक प्रयोग किये जाने के कारण इसे शक संवत के नाम से जाना जाने लगा  इसमें चैत्र, बैशाख, ज्येष्ठ, आसाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ व फाल्गुन नामक बारह मास होते हैं इसलिए आनेवाले शक संवत, 1934 की शुभकामनाएं भी आपको स्वीकार करनी पड़ जायेंगी आगे पढ़ें...